महाभारत
# महाभारत को 18 प्रमुख पर्वों (भागों) में विभाजित किया गया है। इसमें कुल 100,000 श्लोक हैं, और यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। यहाँ महाभारत की संपूर्ण कहानी को भागों में विभाजित करके प्रस्तुत किया गया है।
महाभारत की संपूर्ण कथा (भाग अनुसार)
1. आदि पर्व (कथा की शुरुआत और पांडवों का जन्म)
- महाभारत की रचना और वेदव्यास द्वारा गणेश से लिखवाने की कथा।
- राजा शांतनु, गंगा और सत्यवती की कथा।
- भीष्म प्रतिज्ञा और कौरव-पांडवों की उत्पत्ति।
- द्रोणाचार्य द्वारा शिक्षा और अर्जुन का श्रेष्ठ धनुर्धर बनना।
- द्रौपदी स्वयंवर और पांडवों का इंद्रप्रस्थ की स्थापना।
2. सभा पर्व (जुए में पांडवों की हार और वनवास का कारण)
- मय दानव द्वारा दिव्य सभा का निर्माण।
- युधिष्ठिर का राजसूय यज्ञ और दुर्योधन का अपमान।
- शकुनि के छल से युधिष्ठिर को जुए में फंसाना।
- द्रौपदी का चीरहरण और पांडवों का 13 वर्ष का वनवास।
3. वन पर्व (पांडवों का वनवास)
- पांडवों का वन में कष्ट सहना और ऋषियों से मिलना।
- अर्जुन की इंद्र से दिव्यास्त्र प्राप्ति के लिए तपस्या।
- दुर्योधन का गंधर्वों से युद्ध और अपमान।
- पांडवों को श्रीकृष्ण का मार्गदर्शन।
4. विराट पर्व (अज्ञातवास की कथा)
- पांडवों का राजा विराट के दरबार में भेष बदलकर रहना।
- कौरवों द्वारा विराट नगर पर आक्रमण और अर्जुन का विजय प्राप्त करना।
- अज्ञातवास समाप्त होने पर पांडवों की पहचान उजागर होना।
5. उद्योग पर्व (युद्ध की तैयारियाँ और शांति वार्ता)
- श्रीकृष्ण का कौरवों के दरबार में शांति प्रस्ताव लेकर जाना।
- दुर्योधन का अहंकार और युद्ध को टालने से इनकार।
- अर्जुन और दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण और नारायणी सेना का चुनाव।
- भीष्म, द्रोण और कर्ण की युद्ध में भाग लेने की प्रतिज्ञा।
6. भीष्म पर्व (कुरुक्षेत्र युद्ध का आरंभ और श्रीमद्भगवद्गीता)
- कुरुक्षेत्र में महायुद्ध की शुरुआत।
- अर्जुन का मोह और श्रीकृष्ण का गीता उपदेश।
- भीष्म द्वारा दस दिन तक युद्ध का नेतृत्व और उनकी पराजय।
7. द्रोण पर्व (द्रोणाचार्य की वीरगति)
- द्रोणाचार्य का सेनापति बनना और पांडवों पर भयंकर आक्रमण।
- अभिमन्यु की वीरगति और अर्जुन का प्रतिज्ञा लेना।
- अश्वत्थामा को लेकर द्रोण को छलपूर्वक मारना।
8. कर्ण पर्व (कर्ण का नेतृत्व और वीरगति)
- कर्ण का सेनापति बनना और अर्जुन से भयंकर युद्ध।
- कर्ण के कवच-कुंडल दान करने की कथा।
- श्रीकृष्ण की सहायता से अर्जुन द्वारा कर्ण का वध।
9. शल्य पर्व (शल्य का नेतृत्व और युद्ध का अंत)
- शल्य का सेनापति बनना और पांडवों से युद्ध।
- दुर्योधन और भीम का गदा युद्ध।
- दुर्योधन की पराजय और मृत्यु।
10. सौप्तिक पर्व (अश्वत्थामा का प्रतिशोध और पांडवों के पुत्रों की हत्या)
- अश्वत्थामा द्वारा पांडवों के पुत्रों की हत्या।
- अश्वत्थामा का ब्रह्मास्त्र छोड़ना और श्रीकृष्ण द्वारा उत्तरा के गर्भ की रक्षा।
11. स्त्री पर्व (युद्ध के बाद का शोक और धृतराष्ट्र का विलाप)
- धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती का शोक।
- गांधारी द्वारा श्रीकृष्ण को श्राप देना।
12. शांतिपर्व (राजधर्म और नीति का ज्ञान)
- युद्ध के बाद युधिष्ठिर का राज्याभिषेक।
- भीष्म द्वारा युधिष्ठिर को राजधर्म और नीति का उपदेश।
13. अनुषासन पर्व (भीष्म के अंतिम उपदेश और मृत्यु)
- भीष्म द्वारा युधिष्ठिर को नीति, धर्म और समाज के नियमों की शिक्षा।
- भीष्म की इच्छा मृत्यु और गंगा में विलीन होना।
14. अश्वमेध पर्व (अश्वमेध यज्ञ और परीक्षित का जन्म)
- युधिष्ठिर द्वारा अश्वमेध यज्ञ का आयोजन।
- अर्जुन द्वारा विभिन्न राजाओं को पराजित करना।
- परीक्षित का जन्म।
15. आश्रमवासिक पर्व (धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती का वन गमन)
- धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती का वन में जाने का निर्णय।
- पांडवों से विदाई और जंगल में उनकी मृत्यु।
16. मौसल पर्व (यादव वंश का नाश और श्रीकृष्ण का निर्वाण)
- यादवों में आपसी कलह और उनका विनाश।
- श्रीकृष्ण का सौराष्ट्र के जंगल में देहत्याग।
- द्वारका नगरी का समुद्र में समा जाना।
17. महाप्रस्थानिक पर्व (पांडवों का स्वर्गारोहण यात्रा)
- पांडवों का स्वर्ग की ओर प्रयाण।
- रास्ते में एक-एक कर द्रौपदी और अन्य भाई गिरते गए।
18. स्वर्गारोहण पर्व (युधिष्ठिर का स्वर्ग गमन और न्याय)
- युधिष्ठिर का जीवित स्वर्ग गमन।
- स्वर्ग में कौरवों और पांडवों का पुनर्मिलन।
- युधिष्ठिर को धर्मराज का पद प्राप्त होना।
महाभारत का उपदेश
महाभारत सिर्फ एक युद्ध की गाथा नहीं, बल्कि इसमें जीवन के हर पहलू पर शिक्षा दी गई है। श्रीमद्भगवद्गीता इस ग्रंथ का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म, धर्म और मोक्ष का मार्ग बताया।
यदि आप किसी विशेष पर्व या घटना का विस्तार से विवरण चाहते हैं, तो बता सकते हैं!
Good 👍
ReplyDeleteBest 👍
ReplyDeleteThankyou
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